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एक टूटे दिल की दास्तां-

हाल ए दिल का बयां- ऐसा नहीं कि अब प्यार नहीं तुझसे पर सच कहूं अब ना हो पाएगा मुझसे कब तक करता रहूं तेरा इंतजार तूने तो कब का छोड़ दिया करना मुझसे प्यार सोचा ना था तू इतनी जल्दी बदल जाएगी साथ देने का वादा कर,बीच राह में छोड़ जाएगी करता था करता हूं करता रहूंगा,तुझसे मोहब्बत पर गलत लिया फैसला बना के,तुझको अपनी आदत तू तो संभल गई,किसी और के बाहों में लिपट गई पर मेरी हस्ती तो बिखर गई,बंद कमरों में सिमट गई सोचा था कि तू ही मेरी आश है,तू ही मेरी सांस है पर अब तेरे बिना,मेरी ज़िन्दा रूह भी बन गई लाश है जमाने की इस दौड़ में जब तब कहीं मिलना होगा मेरे दिल के टुकड़ों में चेहरा तेरा ही बना होगा पर दिल की बातों को,जुबान पे ना लाऊंगा जी भर के देख के तुझे,मैं आगे बढ़ जाऊंगा ना चाहिए अब तेरा साथ,ना सुननी है तेरी कोई बात ज़िन्दगी के हर मोड़ पे, अब नहीं चाहिए गम की बरसात रह जाऊंगा तेरे बिना,जी जाऊंगा तेरे बिना वक़्त के इस पहिए में,ढल जाऊंगा तेरे बिना अब भी है प्यार तुझसे,पर अब ना हो पाएगा मुझसे।
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Untold stories of Mahabharata

There are many unknown stories about Mahabharata which we hadn't seen in Mahabharata tv shows. I have found some unknown facts about the Mahabharata which I am mentioning down here- Mahabharata was not known by this name until a long time ago. It was originally known as Jayam then Jaya.The original epic was called Jaya, then it was called Vijaya, then Bharat and finally Mahabharata. In the Mahabharata war, 18 points are very important.18 Number Mahabharata Facts- Rishi Ved Vyasa composed Mahabharata Granth which has a total of 18 parvas - Adi Parva, Sabha Parva, Van Parva, Virat Parva, Udyog Parva, Bhishma Parva, Drona Parva, Ashwamedha Parva, Mahaprastasti Parva, Saptik Parva, Stree Parva, Shanti Parva , Anushashan Parva, Mausal Parva, Karna Parva, Shalya Parva, Swargarohan Parva and Ashramvasi Parva.The Bhagavad Gita has 18 chapters and the Mahabharata book also has 18 chapters. Krishna gave knowledge to Arjuna for a total of 18 days.The war lasted only for 18 days. The Gita also

A Poem - Dedicated to all the beautiful memories and to my all friends

एक कविता पुरानी यादों और मेरे प्यारे दोस्तों के नाम -  ये दिन ना आएंगे कभी,ये दिन ना हम भूलेंगे कभी ये दोस्ती का प्यारा रिश्ता,साथ रहेगा जब तक हैं हम सभी। ये प्यारी तकरार,दोस्ती की यादें,रहेंगे जीवन भर हमारे साथ कैसी भी परेशानी हो, हम करते रहेगें बात। पता है आगे बढ़ना है,एक दूसरे का साथ छूटना है पर इन दूरियों में भी,हमें अपना प्यार बनाए रखना है। जब भी मिलेंगे यही सोचेंगे,वो भी क्या दिन थे जब हम साथ थे,करते मस्ती दिन और रात थे। और यही कहेंगे- वो दिन ना आऐंगे कभी,वो दिन ना हम भूलेंगे कभी।

web series I liked recently- Panchayat...

I have not watched too many web series.I watched only some countable web series on YouTube and other platform. Nowadays when the web series increasing more adult and bold content, recently I saw a web series..what a beautiful,simple,sober and a heart touching web series it was -  PANCHAYAT .(many of you would already watched it, I watched it recently.) This series is not contain any thriller suspense,no action , no big location,no sexual content and not any big cast but it's too beautiful and it binds me from starts to end. I m just overwhelming and feeling so good after watch thi. This is story of a urban boy who didn't select in any big corporate companies. So despite being in home he joined a low sallery government job.Abhishek Tripathi (Jitendra Kumar) takes up a government job as the Panchayat Sachiv (secretary) of the Phulera village panchayat in Uttar Pradesh's Balliya district. There he faces many challenges and this web series is about how he deal with this challen

स्कूल के वो दिन

मेरी प्राथमिक और माध्यमिक स्तर(1-8th) की पढ़ाई सरस्वती शिशु मंदिर से हुई थी,यह विधालय अपने आदर्श, संस्कार और सदाचार के नाम से जाना जाता है। हमारे इस स्कूल में तब लड़का लड़की आपस में बात करने में काफी संकोच महसूस करते थे और कोई आवश्यक या पढ़ाई संबधित काम हो तो ही बात करते थे अन्यथा नहीं(शायद आपके स्कूलों में ऐसा नहीं होता होगा )। यहां हमें अपने पुरुष शिक्षकों की आचार्य जी व महिला शिक्षकों को दीदी जी संबोधित करना होता था तथा अपने सीनियर लडकों को भैय्या और लड़कियों को दीदी कहना पड़ता था। हद तो यह थी कि हमें अपने क्लास वालों को भी भैय्या बहन बुलाना पड़ता था,लड़कियां लड़कों को भैय्या व लड़के लडकियों को बहन बोलकर ही बात करते थे(हां आपने सही पढ़ा , हमें यह बोलना पड़ता था) । हमारे जूनियर हमें भैय्या और हम उनको भाई - बहन बोलते थे। हमारे इस स्कूल में अपशब्दों का प्रयोग वर्जित था कोई गलती से रे, बे बोल देता था तो उसकी शिकायत टीचर(आचार्य जी) से कर दी जाती थी यदि किसी ने गलती से कुत्ता,कमिना जैसे शब्द बोल दिए तो उसकी शामत आ जाती थी आचार्य जी उसको पहले डांटते थे फिर मारते थे फिर पैरेंट्स- टीचर मीटि

सफलता की पहली सीढ़ी-

मैं जब अपने स्नातक के अंतिम वर्ष में था मेरे भैय्या ने मुझे सिविल सर्विस की तैयारी करने के लिए प्रेरित किया और मेरा रुझान सिविल सर्विस की ओर हुआ, जून 2017 में मेरा स्नातक पूर्ण हुआ,परिणाम जारी हुए और मैं अपने ब्रांच बायोटेक्नोलॉजी 2013–17 वर्ष में विश्वविद्यालय टॉपर रहा। मेरे परिवार ने मुझे हमेशा स्वतन्त्र पूर्ण निर्णय लेने के लिए प्रेरित किया है उनका कहना था आप जो भी करना चाहते हैं (पीजी हो या सिविल सर्विस की तैयारी) हम आपके साथ है, हमें आप पे पूर्ण विश्वास है। मैंने कुछ दिन सोच विचार करने के बाद फैसला किया कि मुझे सिविल सर्विस की तैयारी करनी है मैंने यह बात अपनी फैमली को बताई , सभी ने मेरे निर्णय को सहारा । और हम सब ने फैसला लिया कि मैं यूपीएससी कि तैयारी करने दिल्ली जाऊंगा और मैंने सारी तैयारी चालू कर दी ऑनलाइन एक कोचिंग सेंटर से बात कर अपनी एक सीट बुक करा ली। 15 जुलाई 2017 को मैं और मेरे भैय्या दिल्ली के लिए रवाना हुए।  Pic- संसद भवन के सामने, नई दिल्ली भैय्या मेरे साथ 2 दिन रुकने के बाद वापस आ गए । कोचिंग में सुबह और शाम को अलग अलग विषय के क्लासेज लगते थे लेकिन विद

CGPSC के लिए रणनीति

CGPSC प्रीलिम्स के लिए -  प्रीलिम्स का सिलेबस दिखता छोटा है किन्तु इसमें बहुत सारे विषय सम्मिलित होते हैं इसके लिए आवश्यक है कि छत्तीसगढ़ अध्ययन, बेसिक विषय,छत्तीसगढ़ की आर्थिक समीक्षा, करेंट अफयर्स में पकड़ बहुत अच्छी हो ताकि आप किसी प्रश्न में कंफ्यूज हो तो क्वेश्चन एलिमिनेट पद्धति के आधार पर सही ऑप्शन में टिक लगा सकते है। अपनी तैयारी पूर्ण करने के बाद जो सबसे महत्वपूर्ण चीज है वो है अभ्यास। आप ऑनलाइन या ऑफलाइन कोई टेस्ट सीरीज ज्वाइन कर अपनी तैयारी का मूल्यांकन कर सकते है साथ ही अपनी गलतियों में सुधार कर सकते हैं। CGPSC मुख्य परीक्षा के लिए -  यदि आपका प्रीलिम्स अच्छा गया है तो आपको रिजल्ट का इंतजार न कर मुख्य परीक्षा की तैयारी चालू कर देनी चाहिए। इसके लिए आवश्यक है कि आप सिलेबस में दिए सारे विषय की पूर्ण तैयारी कर जितना हो सके उतना उसे रिवाइज करें।प्रश्नों के उत्तर लिखकर अभ्यास करें तथा अपने उत्तर को किसी शिक्षक,मित्र या परिवार के सदस्य से आलोचनात्मक मूल्यांकन कराएं ताकि उत्तर लेखन में जो कमियां हैं वो आपको पता चले और आप उसमें सुधार कर सके।उत्तर लेखन के लिए टेस्ट सीरीज ज्वाइन कर