बिजोरी-
हमारे राज्य छत्तीसगढ़ की पारंपरिक व्यंजन है जिसे भोजन के साथ साइड डिश या पापड़ के रूप में खाया जाता है।
इसे उड़द की दाल,नमक, मिर्ची, तथा रखिया के साथ बनाया जाता है सभी सामग्रियों का गाढ़ा पेस्ट बनाकर इसे छोटी-छोटी पुड़ियों के आकार का बनाया जाता है। राज्य में कई प्रकार की बिजोरियां बनाई जाती है जिसमें अलग- अलग प्रकार की दालें व मसालों का प्रयोग किया जाता है।
इसे बनाने के लिए राज्य की मुख्य लघु वनोपज में से एक बांस की बनी चटाइयों का भी प्रयोग किया जाता है। ये चटाइयां बिजोरी और बड़ी को धूप में सुखाने में काम आती है।इन चटाइयों के उपर सूती का साफ कपड़ा बिछाया जाता है जिसमें गाढ़े पेस्ट को बीजोरी व बड़ी का आकार देकर इसे धूप में 2-3 दिनों तक दोनों साइड से सुखाया जाता है।
अच्छी तरह सूखने के बाद बीजोरियों को तेल में तलकर भोजन के साथ आंनद उठाया जाता है जो खाने के स्वाद में वृद्धि करता है। यह व्यंजन हमारे राज्य की परम्परागत विरासत को प्रदर्शित करता है जो स्थानीय सामग्रियों से बना हुआ पौष्टिक आहार है। जिसे डॉक्टर्स भी गर्भवती महिलाओं व बुखार से पीड़ित मरीजों को खाने की सलाह देते हैं ताकि उनके शरीर को अधिक से अधिक पोषण प्राप्त हो सके।
वर्तमान आवश्यकता है कि राज्य की परम्परागत व पोषण युक्त आहरों की उचित संरक्षण प्रदान किया जाए। इन व्यंजनों को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कार्यक्रमों में शामिल कर इसका प्रचार प्रसार किया जाए। ऑनलाइन मार्केटिंग के माध्यम से इसकी बिक्री की जाए व भोजनालयों में इनके प्रयोग को बढ़ावा दिया जाए जो इसके मांग में बढ़ोतरी करेगा जिससे स्थानीय रोजगार को भी बढ़ावा मिलेगा और जिससे आय और जीवन स्तर में भी सुधार होगा।
Comments
Post a Comment