वह स्थान जहाँ मैंने जन्म लिया ... वह स्थान जहाँ मेरे बचपन की मेरी स्कूली शिक्षा हुई .. DEOBHOG ... अपने नाम के अनुसार यह एक आध्यात्मिक और धार्मिक स्थल से भरा हुआ है ... देवभोग .. यह नाम आध्यात्मिक कारण के लिए दिया गया है। यह स्थान ... पुराने दिनों से यहां से भोग (प्रसाद) जिसे काँग कहा जाता है, को श्री जगन्नाथ मंदिर, पुरी ओडिशा भेजा जाता रहा है ,भोग को देव को अर्पण के कारण इस स्थान का नाम देवभोग पड़ा।
यहां पुरी के जगन्नाथ मंदिर के सदृश जगन्नाथ मंदिर है जो नागर शैली में निर्मित है, जो स्थानीय लोगों की आस्था व भक्ति का केंद्र है। यहां पर भी रथयात्रा का आयोजन उसी उत्साह के साथ आयोजित किया जाता है जैसे पुरी में।
इस मंदिर के प्रांगण में एक पश्चिममुखी हनुमान मंदिर है।
यह क्षेत्र लंकेश्वरी देवी की छत्रछाया के अन्तर्गत शामिल है स्थानीय लोगों में देवी मां के प्रति अपार श्रद्धा है।
छत्तीसगढ़ और ओडिशा के सीमा पर स्थित यह स्थान तेल नदी के समीप स्थित है जो छत्तीसगढ़ी ओडिया और गोंडी संस्कृति का सुंदर समावेशन करता है। यहां "गरीबों का अभिसापित रत्न" कहे जाने वाले अलेक्सेंड्राइट का भंडार है।
Comments
Post a Comment