आज मेरा वर्तमान उम्र 24 साल और 9 माह है। इस छोटी सी जिंदगी में मैंने जो खुशी के पल हासिल किए है उनके बारे में आज बताने जा रहा हूं । मेरा निजी विचार है कि "मेरी खुशी तब ज्यादा बढ़ जाती है जब मैं किसी की खुशी की वजह हूं या कोई मेरी वजह से खुश हो।" " I am the reason for someone's happiness"
यह बात दिसंबर 2019 की है,CGPSC- 2018 के मुख्य परीक्षा के परिणाम जारी हुए जिसमें मेरा चयन CGPSC इन्टरव्यू के लिए हो गया था और मैं इस साक्षात्कार की तैयारी में जुटा हुआ था जिसके लिए मैं अलग अलग संस्थानों में आयोजित मॉक इन्टरव्यू में सम्मिलित होने के लिए जाता था। एक दिन की बात है एक शासकीय विश्वविद्यालय में मॉक इन्टरव्यू आयोजित किया गया था और उस दिन 2 बजे मेरा मेरा इंटरव्यू शेड्यूल था। वह विश्वविधालय मेरे घर से 10 किमी की दूरी पर स्थित था मैं 1 बजे तक तैयार होकर घर से निकला,रास्ते में बहुत ट्रैफिक था तभी रास्ते में एक तेज रफ्तार वाली बाइक ने एक महिला,जिनकी लगभग 45–50 उम्र होगी उनको साइड से टक्कर मारते हुए तेजी से आगे बढ़ गई टक्कर की वजह से वो महिला सड़क के दूसरे किनारे में गिर गई और उनका स्कूटी उनके पैरों पे गिर गया और उनका सारा सामान सड़क में बिखर गया। रोड में इतनी ट्रैफिक होने के बाद भी कोई उन्हें बचाने वाला नहीं था सब अपने काम में मस्त थे,जब मैंने उन्हें देखा मैंने तुरंत अपनी बाइक साइड में करके हेलमेट उतार कर उनके पास गया और स्कूटी को उनके ऊपर से हटाया और उन्हें साइड में एक छांव में बिठाया और उनसे पूछा - आंटी आप ठीक तो हैं? आपको कहीं चोट तो नहीं लगी?
आंटी ने कहा - बेटा मैं ठीक हूं बस पैर में थोड़ी चोट लगी है।
मैंने जब आंटी का पैर देखा तो उनके पैरों से खून निकल रहा था और उनको थोड़ी चोट आई थी मैंने उनसे डॉक्टर के पास चलने को कहा ।
आंटी ने कहा - नहीं बेटा ! थोड़ी सी चोट है ठीक हो जाएगी ऐसा कहकर वो अपना सामान उठाने के लिए खड़ी होनी लगी पर उनको उठने में तकलीफ हो रही थी ।
मैंने आंटी से बैठने के लिए कहा और उनके बिखरे हुए सामान को थैले में उठाकर रखा और आंटी से कहा कि चलिए मैं आपको डॉक्टर के पास ले चलता हूं और बाद में आपके घर भी छोड़ दूंगा।
उन्होंने कहा - बेटा इतनी तकलीफ मत उठाओ , मैं चली जाऊगी।पर उनको उठने में तकलीफ हो रही थी,
उनकी तकलीफ को देखते हुए मैंने थोड़ा जोर डालते हुए उन्हें पास में स्थित डॉक्टर गुप्ता के क्लिनिक में चलने को कहा और वो अंत में मान गई और मैं उनको डॉक्टर के पास ले के गया , डॉक्टर ने उनके घाव की सफाई की तथा पैरों में मरहम पट्टी किया और उन्हें दवाई लिख के दी जिसे में मेडिकल स्टोर से ले आया । फिर आंटी के मना करने के बाद भी मैंने डॉक्टर और दवाई की फ़ीस दे दी।
फिर आंटी की हालत सुधार होने के बाद उन्हें उनके स्कूटी में उनके घर छोड़ने के लिए निकला जो वहां से 3 किमी की दूरी पर था। आंटी ने बताया कि उनके घर में उनके पति और सिर्फ वो रहती हैं उनका बेटा मुंबई में नौकरी करता है।उनके पति के ऑफिस जाने के बाद वो शॉपिंग करने निकली थी। उनके घर पहुंचने के बाद मैने उनका सामान उनके घर पहुंचाया आंटी ने मुझे पानी पिलाया और इलाज और दवाई के पैसे देने लगी मैंने लेने से मना किया और कहा कि इसकी कोई जरूरत नहीं है ये तो इंसानियत के नाते कोई भी करेगा।
तब आंटी ने कहा - नहीं बेटा आजकल इंसानियत लोगों में कम होती जा रही है, स्वार्थीपन इंसानों में बढ़ गया है। कोई किसी की मदद नहीं करता तुमने देखा इतने सारे लोगों के बावजूद कोई मेरी मदद करने नहीं आया। लेकिन तुम आए बेटा , भगवान तुम्हारे सारे इच्छाएं पूरी करे,तुम्हारे सारे सपने पूरे हो ऐसा मेरा आशिर्वाद है ।
मैंने आंटी को थैंक यू बोला और वापस जाने को कहा।आंटी ने कहा - बेटा फिर कभी जरूर आना ।
मैंने हां कहा और वहां से ऑटो लेकर अपने बाइक के पास आया। आंटी की मदद करकर और आंटी के ब्लेसिंग्स सुनकर पता नहीं मन को बहुत सुकून और बहुत ही अच्छा फील हो रहा था ।
इन सब में समय बहुत निकल चुका था अभी 2:45 हो चुके थे और मेरा शर्ट भी थोड़ा गंदा हो गया था,मैं 3:15 तक विश्वविधालय पहुंचा, पर यहां इंटरव्यू थोड़ी देर से चालू हुआ जिससे मेरी बारी अभी आनी बाकी थी मॉक इन्टरव्यू में इंटरव्यूअर ने मुझे मेरे गंदे शर्ट के बारे में पूछा मैंने उन्हें पूरी घटना के बारे में बताया जिसे सुनकर उन्होने मेरी तारीफ करते हुए कहा कि - किसी भी स्थिति में यदि हम किसी की सहायता कर सकते हैं तो हमें जरूर करनी चाहिए।
कुछ दिनों बाद मेरा इंटरव्यू हुआ और मेरा यह इंटरव्यू जितना मैंने सोचा था उससे भी अच्छा गया और मुझे इंटरव्यू में बहुत ही अच्छे मार्क्स मिले। कुछ दिनों बाद CGPSC-2018 के परिणाम जारी हुए जिसमें मुझे 134 रैंक प्राप्त हुआ और मेरा चयन वाणिज्यिक कर निरीक्षक के पद पर हुआ। इस परिणाम के बाद मेरे सारे घरवाले खुश ही गए और मेरे लिए सबसे खुशी की बात थी कि मेरा परिवार खुश है और उनके खुशी कि वजह मैं हूं।
कहते हैं ना "कर भला तो हो भला" आज देख भी लिया।
Comments
Post a Comment